पिता कृष्ण सुरंग अतीत मुश्किल प्यार दर्द दुनिया पर्वत याद अजीब नदिया निराशा दुःख सुख स्त्री एक स्त्री के भीतर कहीं दूर तक अपना सुरंग रचती चली आ रही है जाने कितनी पीढ़ियों से" (इसी कविता से)

Hindi गूफा सुरंग Poems